मध्यप्रदेश के मालवा कि पश्चिमी सीमाओं तथा अरावली की पहाड़ियों पर स्थित गांधी सागर वन्य अभयारण्य क्षेत्र को चंबल नदी मध्य प्रदेश के मंदसौर तथा नीमच जिलों की सीमा में विभाजित करती है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
अरावली की लाखो वर्ष अति प्राचीन इन पहाड़ियों में स्थित इस अभयारण्य ने कई बेशकीमती वनस्पतियों, विलुप्त प्राय जीवों,कई ऐतिहासिक इमारतों कई प्राकृतिक स्थलों,कई पाषाण कालीन मानव सभ्यताओं के साक्ष्यों को अपने आंचल में संजोया हुआ है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
यह अभयारण्य प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए महत्वपूर्ण स्थान है! पर्यटक इस अभयारण्य मैं आकर कुछ समय तक शांति तथा आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं! अभयारण्य में प्रवेश निशुल्क है तथा आप स्वयं के वाहन से जा सकते हैं! आइए जानते हैं गांधीसागर वन्य जीव अभ्यारण के बारे में!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
Table of contents
- कैसे जाए !
गांधी सागर वन्यजिव अभयारण्य का इतिहास !
गांधी सागर अभयारण्य लगभग 370 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है ! भानपुरा नीमच मार्ग इसे दो भागों में विभाजित करता है! यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है! 1974 में इस अभयारण्य को अधिसूचित किया गया तथा 1983 में भारत सरकार ने इसमे और क्षेत्र सम्मिलित कर वर्तमान स्वरूप दिया!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
अभयारण्य की मुख्य वनस्पतियां!
गांधी सागर अभ्यारण पूरे वर्ष भर खुला रहता है! विभिन्न प्रकार की अरावली पहाड़ियों के साथ जंगल सूखा मिश्रित तथा पर्णपाती है ! गांधी सागर जल मग्न क्षेत्र के आसपास घास का मैदान है !
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
अभयारण्य क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्षों की प्रजातियों में धावड़ा, बबूल - जिसका गोंद बहुत लाभदायक माना जाता है! और खाने के काम में आता है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
खेरा - जिसका कत्था बनता है जो पान तथा मसाले में काम में आता है!
तेंदू - इसके पान बीड़ी बनाने के काम में आते हैं तथा तेंदू का फल चीकू के समान मीठा होता है!
करौंदा- एक छोटा सा काला फल होता है जो खाने बहुत ही मीठा और स्वास्थ्यवर्धक होता है! कच्चे करौंदे की सब्जी बनाकर खाई जाती है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान |
खांखरा, पलाश - के पत्तों की आदिवासियों द्वारा पत्तल बनाई जाती है! तथा सुर्ख लाल फूलों का रंग बनाया जाता है! इसके अलावा भी कई प्रकार के वृक्षों को यहां देखा जा सकता है!
अभयारण्य के प्रमुख वन्य जीव !
गांधी सागर अभयारण्य में रहने वाले मुख्य जीव हिरण तथा नीलगाय हैं, जिनमें सबसे आसानी से देखे जाने वाले चिंकारा या भारतीय गजेल और नीलगाय है जो यहां झुंडो में विचरण करते हुए दिखाई दे जाते हैं!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में विचरण करती नीलगाय |
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में घूमता हिरनों का झुण्ड |
इसके अलावा सांभर, भारतीय तेंदुए, लंगूर, मोर, जंगली कुत्ते,ऊदबिलाव लकड़बग्गे, कालाभालू, सियार, लोमड़ी तथा जंगली सूअर है ! गांधी सागर अभ्यारण में प्रमुख रूप से गिद्धों की कई प्रजातियां पाई जाती है !
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य का प्रमुख वन्यजीव तेंदुआ |
इसके अलावा आपको गांधी सागर झील में बोटिंग के दौरान कई प्रवासी तथा अप्रवासी पक्षियों, मगरमच्छ, कई प्रजातियों की मछलियां जैसे सील आदि को देखने का अवसर प्राप्त होता है!
गांधीसागर झील में बोटिंग का आनंद |
अभयारण्य के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल !
गांधी सागर अभयारण्य में कई ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक महत्व के स्थान आपको देखने को मिलेंगे! जिनमें चौरासीगढ़ का किला हमें मध्ययुगीन काल का अहसास कराता है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित चौरासीगढ़ किले के नाम से मशहुर सूर्यास्त देखने की जगह |
वही हिंगलाजगढ़ का किला हमें 12 वीं सदी के परमार काल के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू करवाता है !
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित हिंगलाज गढ़ का किला |
तथा गांधी सागर अभयारण्य के निकट स्थित गांधी सागर बांध हमारी आजादी के बाद की गई विकास यात्रा को दर्शाता है!
गांधीसागर बांध का दृश्य |
सर्किट हाउस व भारतमाता का नजारा तो देखते ही बनता है!
गांधीसागर बांध के भारत माता गार्डन में स्थित भारतमाता की विशालकाय प्रतिमा |
आयुर्वेद के जनक धनवंतरी का स्थान तथा नागों के राजा तक्षक की शरणस्थली ताकेश्वरधाम हमें महाभारत काल में ले जाता है,
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ताखेश्वरजी का कुंड |
वहीँ चतुर्भुज नाथ मंदिर मैं स्थापित दिव्य और मनमोहक भगवान विष्णु की प्रतिमा हमें 12 वीं सदी की ओर ले जाती है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित चतुर्भुजनाथ मंदिर में चतुर्भुज नाथ की प्रतिमा |
तथा चतुर्भुज नाले में स्थित पाषाण कालीन शैलचित्र दुनिया की सबसे प्राचीन व सबसे लंबी शैलचित्र श्रंखला हमें 35 हजार साल से भी अधिक पुरानी उन्नत मानव सभ्यता के जीवन की झलक दिखलाती है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित चतुर्भुज नाला के शैलचित्र |
इस के अलावा भी इस अभयारण्य में हर कदम पर प्राकृतिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थान देखने को मिलेंगे,जैसे चिब्बड़ नाला,कथिरिया का झरना,रामकुंड का झरना, छोटा, बड़ा महादेव का झरना, दर की चट्टान जो विश्व की सबसे प्राचीनतम रॉक कला के अतीत को प्रकट करती है!
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित कथीरिया का झरना |
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित रामकुंड का झरना |
बड़ा महादेव झरना |
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित बिजोलिया का झरना |
इसके आलावा भी यहां गांधी सागर अभ्यारण में अनगिनत प्राकृतिक स्थान तथा कई ऐतिहासिक मंदिर कई प्रागैतिहासिक जगह मौजूद है जिनके बारे में एक पोस्ट में बता पाना संभव नहीं है!
गांधीसागर अभयारण्य की आगामी परियाजना !
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य मैं विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाये जाने की योजना का क्रियान्वयन चल रहा है इसके लिए अफ्रीकन चीतों को यहां बसाने की योजना है!
गांधी सागर अभ्यारण में स्थित अरावली की पहाड़ियों मैं घास के मैदान, पहाड़ियों में स्थित गुफाएं, पानी की प्रचुरता चीतों को बसाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है! इस कार्य के लिए पर्यटन विकास निगम ने ₹15 करोड़ का कार्य निर्धारित किया है!
पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए पर्यटकों के घूमने, फिरने के लिए दो सफारी ओपन जिप्सी जिसमें बैठकर पर्यटक वन्य प्राणियों से रूबरू हो सकें तथा ठहरने के लिए रात में कैंपिंग की व्यवस्था शामिल है !
वन्य प्राणियों के पीने के पानी की व्यवस्था के लिए अभयारण्य में मौजूद लगभग डेढ़ सौ तालाबों का गहरीकरण,सौंदर्यीकरण तथा नए तालाबों का निर्माण शामिल है! अभयारण्य में मौजूद शाकाहारी वन्य प्राणियों जैसे हिरण, चीतल, नीलगाय, खरगोश आदि के लिए चरागाह को विकसित करना जिससे गर्मियों के समय इन वन्यजीवों को पर्याप्त भोजन मिल सके तथा पर्यटक इन वन्य प्राणियों को एक ही स्थान पर देख सके!
अभ्यारण में मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन के लिए लिए 500 चीतल राजगढ़ जिले से लाकर यहां छोड़े जा रहे हैं वर्तमान समय में अभ्यारण के अंदर 2 वर्ष पूर्व गणना के अनुसार लगभग 50 तेंदुए, लकड़बग्घे, तथा अन्य मांसाहारी प्राणियों के साथ 225 प्रजातियों के पक्षी मौजूद है! उम्मीद है आने वाले कुछ समय में आपको यहां चीतों को देखने का अवसर मिलेगा!
यात्रा के दौरान सावधानियाँ !
- अकेले न जाएं किसी जानकार को साथ लेकर जाए !
- उचित मात्रा में पानी साथ रखें व खाने पिने का प्रबन्ध रखें !
- यदि आप रक्त चाप रोगी हैं तो जाने से बचे या अपने साथ उचित दवाई गोलियों का प्रबंध रखें !
- ये क्षेत्र अभयारण्य का हिस्सा है तथा यहां कई जंगली जानवर तेंदुआ,भालू, लकड़बग्गा आदि का निवास है !अतःहमेशा सावधान रहे !
कब जाएं !
वैसे तो इस स्थान पर किसी भी मौसम में जा सकते हैं परन्तु वर्षा ऋतू में रास्ते में कीचड़ हो सकता है !गर्मी के मौसम मे वातावरण शुष्क होने से तेज गर्मी होती है !अक्टूबर माह से मार्च माह तक मौसम ठंडा होने से जाना सबसे अनुकूल होता है !
कैसे जाए !
भानपुरा मालवा मध्य प्रदेश मंदसौर जिले का हिस्सा है जो राजस्थान झालावाड़ जिले से सटा हुआ है! नजदीकी रेलवे स्टेशन भवानी मंडी जो कि 25 किलोमीटर पड़ता है और रामगंज मंडी जो कि 40 किलोमीटर पड़ता है! यहां से बस मार्ग द्वारा भानपुरा आसानी से पहुंचा जा सकता है!और भानपुरा से व्यक्तिगत वाहन बाइक या कार द्वारा अभयारण्य तक पंहुचा जा सकता हैं !
कहां रुकें !
गांधी सागर अभयारण्य में आवास के लिए सर्किट हाउस तथा जल संसाधन विभाग का गेस्ट हाउस है!कोशिश करने पर व्यवस्था हो जाती है ! इस के अलावा अगर आपका बजट ठीक है तो हिंगलाज रिसोर्ट में रुकना एक अच्छा विकल्प हो सकता है! अग्रिम बुकिंग करना ठीक रहेगा !
इस लेख के माध्यम से मैंने अरावली पहाड़ में स्थित मालवा के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी है ! गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं! उम्मीद करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आये !
आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं !
पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
Bhut khub good job all fact ✅
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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