इस ब्लॉग़ में अरावली पर्वत श्रंखला में स्थित Historical Fort,Historical Temple,Prehistorical Place,Natural Place,Historical Dam,Wildlife sanctuary,Ancient Bodhist Place के बारे में जानकारी दी गयी है

बुधवार, अप्रैल 07, 2021

अरावली पर्वत का विस्तार व जानकारी

अरावली पर्वत भारत ही नहीं दुनिया के सबसे प्राचीनतम पर्वतो में से एक है ! जो कि लगभग 60 करोड़ वर्षों से भी अधिक पुराना है !अरावली पर्वत की उम्र की तुलना अगर हिमालय पर्वत से की जाए तो हिमालय पर्वत एक 10 साल का बच्चा है जबकि अरावली पर्वत 90 साल का दादा है!

the gret aravali mountain range
अरावली पर्वतमाला  

गांधी सागर बांध-भानपुरा (M. P. ) के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !


अरावली पर्वत गुजरात से अपनी यात्रा शुरू करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा  से होकर लगभग 700 किलोमीटर की यात्रा करते हुए दिल्ली में जाकर समतल होता है!

अरावली पर्वत की औसत ऊंचाई लगभग 400 से 600 मीटर है तथा कहीं-कहीं 1000 मीटर से भी अधिक है! और चौड़ाई 10 किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक है!

अरावली पर्वत  कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण का साक्षी भी रहा है, जिसमें मुख्य दिल्ली का राष्ट्रपति भवन,जामा मस्जिद जो रायसिना की पहाड़ी (जो अरावली पर्वत की श्रंखला का ही हिस्सा है ) पर बना हुआ है!


Table of contents


क्यों कहा जाता है अरावली ?

अरावली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अरा +वली अरा का मतलब होता है रेखा तथा वली का मतलब है पर्वत !कुछ लोगो का मानना है की अरावली शब्द आडावली से लिया गया है आड़ा मतलब यात्रा करते समय रास्ते में आड़े आने वाला पर्वत और यही कारण है की राजस्थान में इस पर्वत को आड़ा डूंगर के नाम से जाना जाता है !

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अरावली पर्वतमाला  


एक और मान्यता है की अरावली पर्वत का शिखर आरी के सामान दिखाई देता है इसीलिए इस पर्वत को आरीवली कहा गया जो कालान्तर में अरावली हो गया !


मध्य प्रदेश की सिमा से भी होकर गुजरता है अरावली !

अरावली पर्वत का लगभग 80% हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है i अरावली पर्वत श्रंखला में अनेक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी तथा चिड़ियाघर भी मौजूद है !

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन हिंगलाज गढ़ तथा गढ़ में स्थित हिंगलाज माता के मंदिर के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !


अरावली पर्वत सदियों से भील आदिवासियों की संस्कृति तथा उन्नत मानव सभ्यता की मुख्य क्रियाओं का केंद्र रहा है!

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चतुर्भुज नाला भानपुरा अरावली माउंटेन रेंज 


इस पर्वत का एक छोटा सा हिस्सा राजस्थान की सीमा से लगा हुआ मध्यप्रदेश के गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण से होकर गुजरता है  यहां पर कई जगह जैसे चतुर्भुज नाला, चिब्बड़ नाला, सीता खरडी आदि स्थानों में आपको पाषाण कालीन मानव सभ्यता के अवशेष और उनके दैनिक जीवन के क्रियाकलाप उनके द्वारा बनाए गए शेल चित्रो के माध्यम से देखने को मिलते है !

the great aravali mountain range
चतुर्भुज नाला भानपुरा अरावली माउंटेन रेंज 

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चिब्बड़ नाला रॉक पेंटिंग भानपुरा अरावली माउंटेन रेंज 
चिब्बड़ नाला-भानपुरा (M.P.)गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन चिब्बड़ माता के मंदिर तथा पाषाण कालीन शैलचित्र के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !


यहां पर पाई गई रॉक पेंटिंग, रॉक कट गुफाए, पेट्रोग्लिफ्स "रॉक आर्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया "के द्वारा कराये गए कार्बन डेटिंग के अनुसार 35 हजार साल तक पुरानी बताई जाती है!

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चतुर्भुज नाला रॉक पेंटिंग भानपुरा अरावली माउंटेन रेंज 

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित प्राचिन एवं ऐतिहासिक चतुर्भूज नाथ मंदिर तथा चतुर्भूज नाला में स्थित विश्व की सबसे लंबी पाषाणकालीन शेलचित्र श्रंखला के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !


वहीँ दर की चटटान नाम की जगह पर चटटान के दोनों और पाषाण कालीन मानवों द्वारा बनाये गए 550 से भी अधिक कप के आकार के निशान मौजूद है जो 2 से 4 लाख  वर्ष पुराने  है  और दुनिया की सबसे पुरानी मानव सभ्यता होने का प्रमाण देते है!

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दर की चट्टान रॉक आर्ट साइट भानपुरा अरावली माउंटेन रेंज 

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन नागों के राजा तक्षक तथा आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि जी के निवास स्थान प्राचिन तक्षकेश्वर मंदिर तथा पवित्र झरने के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें 


अरावली पर्वत सदियों से न जाने कितने ऐतिहासिक, प्रागैतिहासिक, धार्मिक,और पाषाण कालीन मानव सभ्यताओं को अपने आंचल में संजोए हुए है!


अरावली पहाड़ियों के भुगर्भ की स्थिति कैसी है ?


अरावली पर्वत कई दुर्लभ वनस्पतियों तथा कई लुप्तप्राय जीवोँ का निवास स्थान होने के साथ साथ कई प्रकार के खनिजों का उत्खनन करने का केंद्र भी है और यही कारण है कि पिछले 50 वर्षों में राजस्थान व हरियाणा में स्थित 128 अरावली की पहाड़ियों में से 31 पहाड़िया पूरी तरह से अवैध उत्खनन के चलते गायब हो चुकी है ! राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में ढाई हजार से भी अधिक खदानें हैं जो 100 मीटर से भी गहरी है अवैध खनन के चलते इन खदानों में लगातार ब्लास्ट होते रहते हैं तथा गहरे गड्डे बन गये है भूगर्भ शास्त्रियों ने चेताया है की लगातार ब्लास्ट होने की वजह से अरावली पर्वत के भूगर्भ प्लेट में दरारें बढ़ गयी है जिससे भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा आने का खतरा बढ़ गया है 

खदानों में लगातार ब्लास्ट होने से अरावली पर्वत के भूगर्भ जॉइंट प्रभावित हो रहें हैं !


अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए क्या कानूनी प्रयास किए गए हैं?


  • अरावली क्षेत्र को 1900 में पंजाब भू संरक्षण अधिनियम की धारा 4 और 5 के तहत संरक्षित किया गया है जिसके अनुसार अरावली वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार कार्य करना गैरकानूनी माना जायेगा !
  • सुप्रीम कोर्ट के सन 1992 के  आदेशानुसार अरावली रेंज के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का नया निर्माण नहीं किया जा सकता है और जो निर्माण हो चुका है उसे गिराया जा सकता है
  • सुप्रीम कोर्ट के 2002 के आदेशानुसार जब तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति ना ली जाए तब तक किसी भी प्रकार का अरावली में खनन का कार्य नहीं किया जा सकता!
  • गुजरात के पोरबंदर से लेकर पानीपत तक एक ग्रीन वॉल बनाए जाने की योजना प्रस्तावित है जिसमें अरावली रेंज के भूमि क्षरण  तथा रेगिस्तान के विस्तार को रोकना शामिल है

उत्तर भारत के जागरूक लोगों तथा कई संस्थाओं द्वारा समय-समय पर अरावली को बचाने के लिए कई बार धरना प्रदर्शन आदि किया जाता है!


अरावली रेंज को बचाना एक असंभव कार्य क्यों है?

 जब तक राजनीतिक पार्टियां, सरकार, अफसरशाही आदि ना चाहे तब तक अरावली रेंज को बचा पाना असंभव है ऐसा लगता है जैसे सरकार, अफसरशाही अरावली माउंटेन रेंज को बचाना नहीं बल्कि मिटाना चाहते हैं!

राजस्थान में अरावली की 128 पहाड़ियों में से 31  पहाड़ियां अवैध खनन की वजह से पूरी तरह से गायब हो चुकी है  यानी लगभग 25% अरावली की पहाड़ियां पूरी तरह से गायब हो चुकी है सुप्रीम कोर्ट ने  इस मामले का संज्ञान लेते हुए राजस्थान सरकार से पूछा था कि आखिर 28 पहाड़िया गायब कैसे हुई क्या हनुमान जी इन पहाड़ियों  को उठा ले गए !

वही हरियाणा सरकार की बात ही निराली है, सुप्रीम कोर्ट के 2009 के आदेशानुसार अरावली की स्थिति जस की तस रखने की यानी इस रेंज में किसी भी प्रकार का खनन या निर्माण आदि का कार्य नहीं किया जा सकता! हरियाणा सरकार ने इस मामले की अनदेखी करते हुए यहां कई अमीर शख्सियतों को होटल आदि बनाने का कार्य दे दिया था !सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को अवमानना का दोषी माना है!

भारत में अरावली रेंज में सबसे कम वन क्षेत्र मात्र लगभग 3.5% हरियाणा में बचा हुआ है जिसे भी खत्म करना चाहते हैं!

अभी हाल ही में हरियाणा सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर की है कि कोरोना महामारी की वजह से हरियाणा में बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है और हरियाणा सरकार की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है !

इसीलिए हरियाणा की बेरोजगारी दूर करने तथा हरियाणा सरकार की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अरावली रेंज में खनन की इजाजत दी जाए!  सर्वोच्च न्यायालय भी इस बात पर विचार कर रहा है!

सिर्फ लोगों के जागरूक होने से या आम आदमी के धरना प्रदर्शन से अरावली हिल्स को बचाया नहीं जा सकता! राजनीति में खनन माफियाओं तथा भू माफियाओं के प्रभाव को खत्म करना होगा!

भानपुरा मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक व ऐतिहासिक दूधाखेड़ी माता के मंदिर के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !

अरावली पर्वत के पठार का नाम क्या है?

अरावली माउंटेन के प्रमुख पठार का नाम इस प्रकार है!

  • आबू का पठार :- माउंट आबू के सिरोही जिले में इस चीज से इस प्रकार पर माउंट आबू नगर बसा हुआ है!
  • लेसलिया का पठार :- राजस्थान के उदयपुर जिले में पड़ता है!
  • बिजासन का पठार:- राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित है!
  • उड़ीसा का पठार:- राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार है और सिरोही जिले में स्थित है!
  • भारोठ का पठार:- राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है!
  • ऊपरमाल का पठार:- राजस्थान के बिजोलिया में भीलवाड़ा से भैसरोड गढ़ और चित्तौड़ तक स्थित है!
  • मैसा का पठार :- चित्तौड़ का किला इसी पठार पर बना हुआ है!

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !

राजस्थान के लिए अरावली पर्वत कैसे सहायक है?


अरावली पर्वत ने राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान यानी की थार के रेगिस्तान को फैलने से रोका हुआ है! और यही कारण है कि थार का रेगिस्तान  दिल्ली या भारत के पूर्व तक नहीं पहुंच पाया है!

इसके अलावा अरावली पर्वत ग्राउंडवाटर रिचार्ज करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है!कई जीवनदायिनी नदियों का उद्गम स्थल भी है!

अरावली पर्वत में फैले हुए वन प्रदूषण को कम करने में तथा पर्यावरण को संतुलित करने में बहुत सहायक है, यह एक कार्बन सिंक की तरह कार्य करता है!

अरावली पहाड़ियों में गुजरात में स्थित आखिरी गांव कौन सा है?

अरावली पर्वत गुजरात के खेड़ाब्रह्मा से शुरू होता है और गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली पहुंचकर समतल मैदान में परिवर्तित हो जाता है !


अरावली की पहाड़ियाँ राजस्थान को कितने भागों में बांटती हैं?

अरावली माउंटेन रेंज राजस्थान राज्य को दो भागों में बांटती है! अरावली का पश्चिमी भाग मारवाड़ और अरावली का पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है !अरावली का पश्चिमी भाग रेतीला है वहीँ पूर्वी भाग ठोस तथा पथरीला है ! अरावली का सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र यही है और यही सबसे ज्यादा अवैध खनन किया जाता है!

राजस्थान में अरावली को तीन भागों में बांटा गया है !

1.उत्तरी अरावली :-सीकर, झुंझनू, अलवर, जयपुर के क्षेत्र आते है ! इस क्षेत्र में अरावली पर्वत की औसत ऊंचाई 450 मीटर है और सबसे ऊंची चोटी रघुनाथगढ़ सीकर में 1055 मीटर ऊंची है!

2.मध्य अरावली:- इस क्षेत्र में अजमेर का अरावली क्षेत्र आता है यहां अरावली पर्वत की औसत ऊंचाई 700 मीटर और क्षेत्र की सबसे ऊंची पर्वत चोटी मोरामजी जिसकी ऊंचाई 933 मीटर है!

3. दक्षिणी अरावली:- राजसमंद, सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर

आदि का अरावली क्षेत्र आता है क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर जो माउंट आबू के सिरोही में है जिसकी ऊंचाई  1727 मीटर है!

आखिर में यही कहना चाहता हूँ की सामान्य लोगों को ही राजनैतिक पार्टियों या नेताओं पर दबाव डालना चाहिए जिससे अरावली रेंज को बचाया जा सके !

इस पोस्ट में अरावली माउंटेन रेंज के बारे में एक सामान्य जानकारी दी है उम्मीद करता हूँ ये जानकारी आपको पसंद आये !

पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !

1 टिप्पणी:

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