इस ब्लॉग़ में अरावली पर्वत श्रंखला में स्थित Historical Fort,Historical Temple,Prehistorical Place,Natural Place,Historical Dam,Wildlife sanctuary,Ancient Bodhist Place के बारे में जानकारी दी गयी है

शुक्रवार, दिसंबर 25, 2020

चिब्बड़ नाला-भानपुरा (M.P.)# 3

मालवी भाषा में चिबर का मतलब होता है चमगादड़! मध्यप्रदेश मंदसौर जिले के भानपुरा से लगभग 35 किलोमीटर दूर गांधी सागर अभयारण्य की अरावली पहाड़ियों के बिच घने जंगल में स्थित "चिब्बर नाला" एक प्राकृतिक, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक स्थान है, जहाँ पर जंगलो के बीच से निकलकर ऊंचाई से गिरते झरने का मनमोहक दृश्य वर्षा के दौरान दिखाई देता है! चिब्बड़ नाला में मौजूद पहाड़ियों में स्थित प्राकृतिक गुफाएँ, शैल आश्रय तथा सदियों पुराने रॉकपेन्टिंग पाषाण कालीन मानव सभ्यता होने का प्रमाण देती है!

चिब्बड़ नाला-भानपुरा (M.P.)# 3
चिब्बड़ नाला-भानपुरा में स्थित शीतला महारानी 


चिब्बरत नाला भानपुरा
चिब्बड़ नाला का दृश्य 



यहां जंगली जानवरों को देखने का अवसर मिलने के साथ साथ प्राकृतिक नजरों का लुत्फ, ऐतिहासिक माताजी के मंदिर में दर्शन करने का और हजारों साल पुरानी मानव सभ्यता की साक्ष्य रॉक पेंटिंग्स को देखने से एक असीम आनंद का अनुभव होगा!

चिब्बर नाला
रास्ता में विचरण करते सांभर 

चिब्बर नाला का रस्ता
रास्ता में घूरते सियार 

गांधी सागर बांध-भानपुरा (M. P. ) के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !


मेरे बचपन का मित्र और सहपाठी महेश जो की आजकल कोटा में कार्य करता है, काफी लम्बे समय के बाद उसका कल फोन आया था! लम्बी बातचीत हुई और बताया की उसने एक सेकंड के बाइक बायक है और उसकी टेस्ट ड्राइविंग के लिए वो आज आने वाला था!

      

दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत मालाओं में से एक अरावली पर्वत के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें!                                                   

आज सुबह 9 बजे वह मेरे घर पहुंच गए और कुछ मेल मिलाप के बाद हमने बाइक रोक दी और आगे की यात्रा शुरू की! 


लगभग आधे घंटे बाद हम ऐतिहासिक नगर भानपुरा बस स्टैंड पहुंच गए थे! मेरा मन अतीत की गहराइयों में झांकने लगा! लगभग 20 साल पहले कॉलेज के दिनों में यहां कचौरी की एक छोटी सी दुकान हुई थी, और अक्सर हम उस दुकान पर कचौरी खाने करते थे मेरी आंखें उसी दुकान को ढूंढ रही थी! लेकिन दुकान का कहीं पता नहीं था! फिर लगभग 10 कदम दूर हमे एक दुकान नजर आई। यह वही दुकान थी जो अब एक बड़ी दुकान में तब्दील हो गई थी! हमने ब्रेकफ़ास्ट किया और आगे बढ़ गए!


गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन नागों के राजा तक्षक तथा आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि जी के निवास स्थान प्राचिन तक्षकेश्वर मंदिर तथा पवित्र झरने के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें 


हमारा अगला पड़ाव एक पेट्रोल पंप था जो भानपुरा गांधी सागर मार्ग में 1 किलोमीटर दूर था ! जहां हमने पेट्रोल भरवाया !पेट्रोल पंप के सेल्समैन ने गाड़ी की तरफ देखा और गाड़ी की तारीफ की जिसका हमको बहुत अच्छा फील हुआ! लगभग 8 किलोमीटर चलने के बाद हमने संग्राम की की 1 किलोमीटर चढ़ाई पार की अब हम गांधी सागर अभ्यारण में प्रवेश कर चुके थे! 

चिब्बर नाला के रस्ता का आखिरी गाव
अभ्यारण्य का आखरी गाँव चिब्बड़ नाला मार्ग का 



कुछ किलोमीटर और चलने के बाद हम उत्तर दिशा की ओर नावली मार्ग पर मुड़े! लगभग 12 किलोमीटर चलते हुवे हमने दो गाँव को पार किया यहाँ तक पक्की सड़क थी! इसके बाद कच्ची सड़क शुरू होती है एक सड़क हिंगलाज गढ़ की तरफ जाती है और दूसरी सड़क चिब्बर नाले की तरफ यहां पर एक बोर्ड भी लगा हुआ है जो सड़क मार्ग को दर्शाता है!


गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन हिंगलाज गढ़ तथा गढ़ में स्थित हिंगलाज माता के मंदिर के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !



यहां से लगभग 8 किलोमीटर सुनसान जंगल और उथरी खाट रास्ता से होते हुए हम एक समतल मैदान पर पहुंचे इसके आगे एक बहुत ही सुंदर घाटी नुमा जगह है इसी का नाम चिब्बर नाला है! रास्ता में हमें कुछ दूरी पर एक हिरणो का झुंड दिखाई दिया जो हमारे कैमरे की पहुंच से बाहर था और कुलांचे भरता हुवा हमारी आहट पाकर अदृश्य हो गए!

चिब्बर नाला का द्रश्य
चिब्बड़ नाला का दूर से लिया गया दृश्य था 

      माता का यहाँ अति प्राचिन मंदिर है!

      यहाँ स्थित प्राकृतिक शैलश्रय (रॉक शेल्टर) में एक छोटा सा चिब्बड़ नाला की माताजी का अति प्राचीन मंदिर है जिसमें देवी की एक प्राचीन प्रतिमा स्थित है! स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पुराने समय से यह चोरों और डकैतों की अधिष्ठात्री देवी रही है! कार्य पर जाने से पहले वे यहाँ पूजा अर्चना करने आते थे! और सफल होने के बाद वह यहाँ चढ़ावा चढ़ाते थे!


      गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित प्राचिन एवं ऐतिहासिक चतुर्भूज नाथ मंदिर तथा चतुर्भूज नाला में स्थित विश्व की सबसे लंबी पाषाणकालीन शेलचित्र श्रंखला के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !


      कहते हैं कि यहाँ से मांगी गयी हर एक मुराद पुरी जरूर होती  है! अभी भी जानकार लोग यहाँ आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में यहाँ तक कम ही लोग पहुँच पाते हैं!

      चिब्बर नाला माता मंदिर
      चिब्बर नाला माताजी का अति प्राचिन मंदिर 

      चिब्बर नाला माता की प्रतिमा
      चिब्बर नाला माताजी कि अति प्राचिन प्रतिमा 

      चिब्बर नाला
      मंदिर के सामने जलती धूनी और शेर कि प्रतिमा 

      चिब्बर नाला


      मंदिर तक जाने का एक गुप्त रास्ता और भी है!

      बरसात के दिनों में जब नाले में पानी भरा होता है तो इस गुप्त रास्ता से मंदिर तक जा सकते है! जो प्राकृतिक रॉक शेल्टर्स से चट्टानों कि गुफा के बिच होता हुआ ऊपर से नीचे मंदिर तक जाता है!

      चिब्बड नाला गुफ़ा
      चिब्बड़ नाला गुफा मार्ग निचे कि और 

      चिब्बड नाला गुफ़ा
      चिब्बड़ नाला गुफा मार्ग ऊपर और 

      मालवा के प्रसिद्ध धार्मिक व ऐतिहासिक दूधाखेड़ी माताजी का मंदिर भानपुरा मध्यप्रदेश के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !


      यहाँ मौजूद है प्रागैतिहासिक कालीन शैल चित्र!

      यँहा सदियों पहले के प्रागैतिहासिक कालीन मानव सभ्यता होने के संकेत मिलते हैं !उनके द्वारा बनाई गई रॉक पेंटिंग के माध्यम से जो लाल गेरू रंग में रॉक शेल्टर के ऊपर उकेरी गई है! जिसका हजारो साल पुराना होने का अनुमान है! शैल चित्रों का विषय जानवर और मनुष्य है !

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      चिब्बड़ नाला पाशाण कालीन शैल चित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      चिब्बड़ नाला पाषाण कालीन शैल चित्र गिरगिट, मोर, शेर 


      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      चिब्बड़ नाला के पाषाण कालीन शैल चित्र 



      चिब्बड नालायल चित्र
      चिब्बड़ नाला शैल चित्र आदि मानव मुखिया समूह में शिकार करते हुवे
       

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      दो पैरों वाले जानवर कि सवारी! ऊपर कि और पाशाणकालीन भाषा में लेख लिखा है 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      कुछ असामाजिक तत्व अपना नाम लिखकर पाशाण कालीन संस्कृति नष्ट करते हुए 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      पाषाण काल के शैलचित्र 


      गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !

      चारों ओर रॉक शेल्टर्स मौजूद है!

      नजर दौड़ाने पर आपको चारों ओर प्राकृतिक रॉक शेल्टर्स दिखाई देंगे जो दर्शाता है कि प्रागैतिहासिक काल में यह स्थान कभी मानव सभ्यता का प्रमुख केंद्र रहा है!

      चिब्बड नाला गुफ़ा
      चिब्बड़ नाला के शैल आश्रय 





      यहाँ मौजूद है जलप्रपात!

      वर्षा के दौरान नाले का पानी काफी ऊंचाई से नीचे गिरकर एक जलप्रपात बनाता हुवा मनमोहक प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है जो देखने में बड़ा ही सुंदर लगता है!

      चिब्बड नाला
      चिब्बड़ नाले का जल प्रपात 

      चिब्बड नाला
      चिब्बड़ नाला दृश्य 
      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      आदि मानव हाथ में फरसा लिए नीलगाय का शिकार करते हैं 


      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      एक पाषाण कालीन जानवर 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      पाषाण कालीन मानव हाथ में हथियार लीये शिकार कि प्रतीक्षा में 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      पाषाण लिपि में लिखित शैल चित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      जिराफ और दो पैरो वाले जानवर का शैलचित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      ऊपर कि और शैल चित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      कुछ और पाषाण कालीन जीवों के शैलचित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      सियार का शैलचित्र 

      चिब्बड नाला रॉक पेंटिंग
      आदि मानव हाथ में हथियार लेकर शिकार के लीये जाते हैं 

      गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !

      यात्रा के दौरान सावधानियाँ!

      • अकेले न जाए कोई जानकर के साथ जाना चाहिए क्योंकि यह स्थान सुनसान और मानव विहीन है!
      • उचित मात्रा में पीने का पानी के साथ रखें और खाने पिने का प्रबन्ध रखें!
      • यदि आप उच्च या निम्न रक्त चाप रोगी हैं तो जाने से बचे!
      • अपने साथ उचित दवाई का प्रबंधन रखें 
      • ये क्षेत्र अभयारण्य का हिस्सा है और यहां कई हिंसक जानवर मौजूद हैं! सावधान रहें !

      कब जाए !

      वैसे तो इस स्थान पर किसी भी मौसम में जा सकते हैं, लेकिन बारिश ऋतु में रास्ते में कीचड़ हो सकता है! गर्मी के मौसम मे वातावरण शुष्क होने से तेज गर्मी होती है! अक्टूबर महीने से मार्च महीने तक मौसम ठंडा होने से सबसे अनुकूल होता है! है!


      कैसे जाए !

      भानपुरा मध्य प्रदेश मंदसौर जिले में जो रेटेड झालावाड़ जिले से सटा हुआ है! संबंधित रेलवे स्टेशन भवानी मंडी (दिल्ली मुंबई रेल मार्ग) जो कि 25 किलोमीटर है और रामगंज मंडी जो कि 40 किलोमीटर पड़ता है! यहाँ से बस मार्ग द्वारा भानपुरा आसानी से दूर जा सकता है! और भानपुरा से व्यक्तिगत वाहन बाइक या कार द्वारा चिब्बर नाला जा सकता है!

      दोस्तों, इस लेख मैं अरावली मैं स्थित प्राकृतिक, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक चिब्तार नाला के बारे में बताया गया है, स्थान के बारे में इंटरनेट पर ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है! और यहाँ पहुंचना थोड़ा कठिन है! 

      गलती के लिए क्षमा करें!

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      ब्लॉग-पढ़ने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद! 

      चिब्बड़ नाला का Exclusive Video निचे देखें तथा youtube channel को भी Like, Comment और Subscribe करें धन्यवाद !



      बुधवार, दिसंबर 23, 2020

      तक्षकेश्वर धाम-भानपुरा (M.P.)# 2

      भानपुरा से लगभग 22 किलोमीटर दूर नावली गाँव के पास अरावली की सुरम्यभूमि में स्थित प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण यह स्थान तक्षकेश्वर, ताखा ज़ी, ताखेश्वरजी आदि नामों से प्रसिद्ध है!
      तक्षकेश्वर धाम-भानपुरा (M.P.)# 2
      तक्षकेश्वरनाथ कि दिव्य प्रतिमा 


      यहाँ एक प्राकृतिक भव्य जलप्रपात और पवित्र और गहरा जलकुंड है! यह नागो के राजा  तक्षक और आयुर्वेद के जनक  धनवंतरी  का स्थान हैं!  यहाँ 12 वीं शताब्दी में बना हुआ एक पौराणिक व ऐतिहासिक ताखाज़ी का मंदिर है! 

      ताखेश्वर धाम
      ताखाजी का मार्ग एक बोर्ड दिखता है 


      प्रत्येक वर्ष वैशाख महीने की पूर्णिमा को यहाँ मेले का आयोजन होता है! इस स्थान का महत्व पुराणों में भी देखने को मिलता है!


      गांधी सागर बांध-भानपुरा (M. P. ) के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !


      हिंगलाज गढ़ में लगभग डेढ़ घंटा घूमने के बाद हम एक और महत्वपूर्ण स्थान ताखाजी यानी तक्षकेश्वर धाम के लिए रवाना हुए, जो यहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर था! रास्ता में बाइक के साइलेंसर से कभी-कभी फट की आवाज़ आ रही थी जिसको हमने इग्नोर कर दिया था! लगभग आधे घंटे बाद हम इस रमणीय स्थान पर पहुँचे!

      तखेश्वर धाम भानपुरा
      ताखाजी का कुंड 


         ताका जी के प्रमुख स्थल!


        यहां पानी का स्रोत एक गर्म पानी का झरना है, जो लगभग डेढ़ सौ -दो सौ फुट की ऊंचाई से गिरकर एक खूबसूरत मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करता है! यहा बारहमासी झरना है जो पहाड़ों से निकलकर निरंतर गिरता रहता है! मानसून के दौरान यह झरना आश्चर्यचकित कर देता है!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी का झरना 


        चिब्बड़ नाला-भानपुरा (M.P.)गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राचिन चिब्बड़ माता के मंदिर तथा पाषाण कालीन शैलचित्र के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !

        पवित्र जल कुंड!

        झरने का पानी गिर कर कर एक विशाल कुंड का निर्माण करता है! स्थानीय लोगों के अनुसार इस जलकुंड की गहराई आज तक पता नहीं चली है! जल कुंड में विभिन्न प्रकार की मछलियों पाई जाती है! यह स्थान गंगा के समान पवित्र होने के कारण लोग यहाँ अस्थि विसर्जन भी करते हैं!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी का पवित्र जल कुंड 

         

        देसी जड़ी बूटियों का भंडार यहाँ है!

        आयुर्वेद के जनक धनवंतरी का स्थान होने से यहाँ प्राकृतिक संसाधन और बेशकीमती दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है! कई जानकार लोग यहाँ आते हैं! पहले धनवंतरीजी की पूजा करके फिर बूटियों की खोज कर ले जाते हैं!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी कुंड के पास का दृश्य 

        गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित प्राचिन एवं ऐतिहासिक चतुर्भूज नाथ मंदिर तथा चतुर्भूज नाला में स्थित विश्व की सबसे लंबी पाषाणकालीन शेलचित्र श्रंखला के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !


        एक गोमुख झरना भी यहाँ है!

        पहाड़ों का अंदर से निकलकर एक छोटी सी गर्म पानी की जलधारा गाय के मुख के समान पत्थर से निकलकर गिरती है! जिसमें स्नान से कई रोग ठीक हो जाते हैं! माना जाता है कि यह जलधारा कई जड़ी बूटियों से होकर गुजरती है, इसीलिए पवित्र माना जाता है!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी का गर्म पानी का गौमुख झरना 


        तक्षकेश्वर धाम-भानपुरा
        गौमुख झरना ताखाजी 



        प्रागैतिहासिक कालीन यह स्थान है!

        यहाँ ऊपर पहाड़ में बने रॉक शेल्टर में हजारों साल पुरानी शैल चित्र भी पाए गए हैं! जो यह दर्शाता है कि प्रागैतिहासिक काल में यहां कभी आदि मानव का निवास था! लेकिन दिन ढल जाने और ऊंचाई पर गुफा होने के कारण हम वहाँ पहुँच नहीं पाए! यहाँ एक और स्थान हैं ताखाजी महाराज की बॉम्बी जहाँ दीपक लगाए जाते हैं, वह भी हमसे छूट गया! अगली बार देखने का बहाना लेकर हम तुरंत वहाँ से निकले क्योकि मार्ग थोड़ा ख़राब था 


        दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत मालाओं में से एक अरावली पर्वत के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें! 

        नदी का उद्गम स्थल भी यहाँ है!

        पहाड़ों से विशाल झरना कुंड में गिरता है और कुंड से पानी एक नाले के रूप में बहता है जो आगे जाकर एक नदी का रूप धारण कर लेता है! इस नदी का नाम ताखली नदी है जो बहकर राजस्थान की ओर चली जाती है!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी के कुंड से ताखली नदी का उद्गम स्थल 


        तखेश्वर धाम
        ताखाजी के कुंड से ताखली नदी का उद्गम स्थल 


        पुराणों मैं भी जिक्र है यहाँ का!

        पांडवो के वंशज व अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र राजा परीक्षित जंगल में भटकते हुवे प्यास से व्याकुल होकर ऋषि के आश्रम पहुंचे हैं व पानी मांगते हैं, लेकिन ऋषि ध्यान में तन्मय होने के कारण राजा कि बात सुन नहीं पाते हैं! जिससे परीक्षित क्रोधित होकर पास में मरे हुए सर्प को ऋषि के गले में डाल देते हैं! जब ऋषि पुत्र श्रंगी आकर दृश्य देखते हैं तो क्रोध के वशीभूत होकर परीक्षित को श्राप दे देते हैं कि 7 दिन में तक्षक नाग के काटने से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी! इस पर राजा परीक्षित 7 दिन के लिए अपने आप को सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं!अग्रिम उपचार हेतु वैद्यराज धनवंतरी जी जिनको देखने मात्र से सर्प दंश ठीक होने का वरदान होता है उनको  बुलवा भेजते हैं! जब तक्षक को इस बारे में पता चलता है तो धनवंतरी जी की परीक्षा लेने के लिए यहां आते हैं और एक पेड़ पर अपना विष डालते हैं कुछ देर बाद वह पेड़ सूख जाता है !धनवन्तरि जी उस पेड़ की तरफ देखते हैं और उनके देखने से पेड़ वापस हरा भरा हो जाता है!अब तक्षक को विश्वास हो जाता है कि धनवंतरी जी राजा परीक्षित को बचाने में सफल हो जाएंगे !उनको रोकने के लिए तक्षक धन्वंतरि जी के मार्ग में एक सोने की छड़ी बनकर गिर जाते  है!धनवंतरी जी रास्ते में पड़ी छड़ी को उठा लेते हैं !कुछ दूर चलने पर धनवंतरी जी अपनी पीठ को उस छड़ी से खुजलाते हैं,और उसी समय छड़ी सर्प बन कर  धनवंतरी जी को काट लेती है ! धनवन्तरि जी अपनी पीठ को आंखों से देख नहीं पाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है !माना जाता है यह वही स्थान है!बाद में नागराज तक्षक भी यहीं निवास करने लग जाते हैं!

        मालवा के प्रसिद्ध धार्मिक व ऐतिहासिक दूधाखेड़ी माताजी का मंदिर भानपुरा मध्यप्रदेश के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !


        धार्मिक और ऐतिहासिक मंदिर यहाँ     है!

        दसवीं शताब्दी में बने इस मंदिर में नागों राजा तक्षक की एक प्रतिमा है जिसमें ऊपर से रक्षा करने वाले सात सर्प की आकृति वाली प्रतिमा साथ में उनके पुत्र व पत्नी को दर्शाया गया है और हाथ में एक नरमुंड दिखाया गया है!

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी महाराज कि अति प्राचिन प्रतिमा 
        Takshkeshwar pratima
        ताखाजी महाराज कि प्रतिमा नजदीक से 




          नागराज तक्षक की प्रतिमा के सामने आयुर्वेद के जनक वैद्यराज धनवंतरी जी की प्रतिमा स्थापित है!

        तखेश्वर धाम
        आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि ज़ी कि अति प्राचिन प्रतिमा 



        तखेश्वर धाम
        आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि ज़ी कि अति प्राचिन प्रतिमा का नजदीक दृश्य 


        मुख्य मंदिर में भगवान शिव शंकर की मूर्ति स्थापित है! जिसे नागो के राजा तक्षक का स्वामी माना जाता है!

        तखेश्वर धाम
        भगवान शंकर का मुख्य मंदिर 


        तखेश्वर धाम
        हनुमान मंदिर ताखाजी 

        तखेश्वर धाम
        दिवार में स्थित गणेश ज़ी कि प्राचिन प्रतिमा ताखाजी 

        तखेश्वर धाम
        भैरव ज़ी कि प्रतिमा 

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी कुंड कि सीढिया 

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी कुंड का द्वार 

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी के स्थान का मनमोहक दृश्य 

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी के स्थान का मनमोहक नजारा 

        तखेश्वर धाम
        ताखाजी के स्थान का मनमोहक नजारा

        गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !


        यात्रा के दौरान सावधानियाँ!

        • अकेले न जाये किसी जानकर को साथ ले जाए!
        • उचित मात्रा में पानी के साथ रखें और खाने पिने का प्रबन्ध रखें!
        • यदि आप उच्च या निम्न रक्त चाप रोगी हैं तो जाने से बचे!
        • अपने साथ उचित दवाई का प्रबंधन रखें!
        • ये क्षेत्र अभयारण्य का हिस्सा है और यहां कई जंगली जानवरों तेंदुआ, भालू, लकड़बग्गा आदि का निवास है इसीलिए  हमेशा सावधान रहें!

         कब जा सकते हैं!

        वैसे तो इस स्थान पर किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन वर्षा ऋतू में रास्ते में कीचड़ हो सकता है! गर्मी के मौसम मे वातावरण शुष्क होने से तेज गर्मी होती है! अक्टूबर महीने से मार्च महीने तक मौसम ठंडा होने से सबसे अनुकूल होता है!


        कैसे जा सकते है!

        भानपुरा मालवा मध्य प्रदेश मंदसौर जिले का हिस्सा है जो राजस्थान झालावाड़ जिले से सटा हुआ है! संबंधित रेलवे स्टेशन भवानी मंडी (दिल्ली मुंबई रेल मार्ग) जो कि 25 किलोमीटर गिरता है और रामगंज मंडी जो कि 40 किलोमीटर पड़ता है! यहाँ से बस मार्ग द्वारा भानपुरा आसानी से दूर जा सकता है! और भानपुरा से व्यक्तिगत वाहन बाइक या कार द्वारा ताखेश्वर ज़ी तक जा सकते हैं!


        तो दोस्तों यह आज की यात्रा थी! हम लगभग 9:00 बजे रात को घर पहुंचे !हमारी सेकंड हैंड बाइक ने हमारा पूरा साथ दिया!

        इस लेख मैं अरावली पर्वत में स्थित मालवा कि पौराणिक और ऐतिहासिक जगह तक्षकेश्वर, ताखाजी, ताखेश्वर के बारे में जानकारी दी है! उम्मीद करता हूँ कि आपको यह लेख पसंद आये! मिलते हैं अगले दिन की यात्रा के लेख में !

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         ब्लॉग-पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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