प्रत्येक वर्ष वैशाख महीने की पूर्णिमा को यहाँ मेले का आयोजन होता है! इस स्थान का महत्व पुराणों में भी देखने को मिलता है!
गांधी सागर बांध-भानपुरा (M. P. ) के बारे में जानने के लिये यहाँ click करें !
हिंगलाज गढ़ में लगभग डेढ़ घंटा घूमने के बाद हम एक और महत्वपूर्ण स्थान ताखाजी यानी तक्षकेश्वर धाम के लिए रवाना हुए, जो यहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर था! रास्ता में बाइक के साइलेंसर से कभी-कभी फट की आवाज़ आ रही थी जिसको हमने इग्नोर कर दिया था! लगभग आधे घंटे बाद हम इस रमणीय स्थान पर पहुँचे!
ताखाजी का कुंड |
ताका जी के प्रमुख स्थल!
पवित्र विशाल जलप्रपात!
ताखाजी का झरना |
पवित्र जल कुंड!
झरने का पानी गिर कर कर एक विशाल कुंड का निर्माण करता है! स्थानीय लोगों के अनुसार इस जलकुंड की गहराई आज तक पता नहीं चली है! जल कुंड में विभिन्न प्रकार की मछलियों पाई जाती है! यह स्थान गंगा के समान पवित्र होने के कारण लोग यहाँ अस्थि विसर्जन भी करते हैं!
ताखाजी का पवित्र जल कुंड |
देसी जड़ी बूटियों का भंडार यहाँ है!
आयुर्वेद के जनक धनवंतरी का स्थान होने से यहाँ प्राकृतिक संसाधन और बेशकीमती दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है! कई जानकार लोग यहाँ आते हैं! पहले धनवंतरीजी की पूजा करके फिर बूटियों की खोज कर ले जाते हैं!
ताखाजी कुंड के पास का दृश्य |
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित प्राचिन एवं ऐतिहासिक चतुर्भूज नाथ मंदिर तथा चतुर्भूज नाला में स्थित विश्व की सबसे लंबी पाषाणकालीन शेलचित्र श्रंखला के बारे में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें !
एक गोमुख झरना भी यहाँ है!
पहाड़ों का अंदर से निकलकर एक छोटी सी गर्म पानी की जलधारा गाय के मुख के समान पत्थर से निकलकर गिरती है! जिसमें स्नान से कई रोग ठीक हो जाते हैं! माना जाता है कि यह जलधारा कई जड़ी बूटियों से होकर गुजरती है, इसीलिए पवित्र माना जाता है!
ताखाजी का गर्म पानी का गौमुख झरना |
गौमुख झरना ताखाजी |
प्रागैतिहासिक कालीन यह स्थान है!
यहाँ ऊपर पहाड़ में बने रॉक शेल्टर में हजारों साल पुरानी शैल चित्र भी पाए गए हैं! जो यह दर्शाता है कि प्रागैतिहासिक काल में यहां कभी आदि मानव का निवास था! लेकिन दिन ढल जाने और ऊंचाई पर गुफा होने के कारण हम वहाँ पहुँच नहीं पाए! यहाँ एक और स्थान हैं ताखाजी महाराज की बॉम्बी जहाँ दीपक लगाए जाते हैं, वह भी हमसे छूट गया! अगली बार देखने का बहाना लेकर हम तुरंत वहाँ से निकले क्योकि मार्ग थोड़ा ख़राब था
दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत मालाओं में से एक अरावली पर्वत के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें!
नदी का उद्गम स्थल भी यहाँ है!
पहाड़ों से विशाल झरना कुंड में गिरता है और कुंड से पानी एक नाले के रूप में बहता है जो आगे जाकर एक नदी का रूप धारण कर लेता है! इस नदी का नाम ताखली नदी है जो बहकर राजस्थान की ओर चली जाती है!
ताखाजी के कुंड से ताखली नदी का उद्गम स्थल |
ताखाजी के कुंड से ताखली नदी का उद्गम स्थल |
पुराणों मैं भी जिक्र है यहाँ का!
पांडवो के वंशज व अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र राजा परीक्षित जंगल में भटकते हुवे प्यास से व्याकुल होकर ऋषि के आश्रम पहुंचे हैं व पानी मांगते हैं, लेकिन ऋषि ध्यान में तन्मय होने के कारण राजा कि बात सुन नहीं पाते हैं! जिससे परीक्षित क्रोधित होकर पास में मरे हुए सर्प को ऋषि के गले में डाल देते हैं! जब ऋषि पुत्र श्रंगी आकर दृश्य देखते हैं तो क्रोध के वशीभूत होकर परीक्षित को श्राप दे देते हैं कि 7 दिन में तक्षक नाग के काटने से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी! इस पर राजा परीक्षित 7 दिन के लिए अपने आप को सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं!अग्रिम उपचार हेतु वैद्यराज धनवंतरी जी जिनको देखने मात्र से सर्प दंश ठीक होने का वरदान होता है उनको बुलवा भेजते हैं! जब तक्षक को इस बारे में पता चलता है तो धनवंतरी जी की परीक्षा लेने के लिए यहां आते हैं और एक पेड़ पर अपना विष डालते हैं कुछ देर बाद वह पेड़ सूख जाता है !धनवन्तरि जी उस पेड़ की तरफ देखते हैं और उनके देखने से पेड़ वापस हरा भरा हो जाता है!अब तक्षक को विश्वास हो जाता है कि धनवंतरी जी राजा परीक्षित को बचाने में सफल हो जाएंगे !उनको रोकने के लिए तक्षक धन्वंतरि जी के मार्ग में एक सोने की छड़ी बनकर गिर जाते है!धनवंतरी जी रास्ते में पड़ी छड़ी को उठा लेते हैं !कुछ दूर चलने पर धनवंतरी जी अपनी पीठ को उस छड़ी से खुजलाते हैं,और उसी समय छड़ी सर्प बन कर धनवंतरी जी को काट लेती है ! धनवन्तरि जी अपनी पीठ को आंखों से देख नहीं पाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है !माना जाता है यह वही स्थान है!बाद में नागराज तक्षक भी यहीं निवास करने लग जाते हैं!
धार्मिक और ऐतिहासिक मंदिर यहाँ है!
दसवीं शताब्दी में बने इस मंदिर में नागों राजा तक्षक की एक प्रतिमा है जिसमें ऊपर से रक्षा करने वाले सात सर्प की आकृति वाली प्रतिमा साथ में उनके पुत्र व पत्नी को दर्शाया गया है और हाथ में एक नरमुंड दिखाया गया है!
ताखाजी महाराज कि अति प्राचिन प्रतिमा |
ताखाजी महाराज कि प्रतिमा नजदीक से |
आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि ज़ी कि अति प्राचिन प्रतिमा |
आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि ज़ी कि अति प्राचिन प्रतिमा का नजदीक दृश्य |
मुख्य मंदिर में भगवान शिव शंकर की मूर्ति स्थापित है! जिसे नागो के राजा तक्षक का स्वामी माना जाता है!
भगवान शंकर का मुख्य मंदिर |
हनुमान मंदिर ताखाजी |
दिवार में स्थित गणेश ज़ी कि प्राचिन प्रतिमा ताखाजी |
भैरव ज़ी कि प्रतिमा |
ताखाजी कुंड कि सीढिया |
ताखाजी कुंड का द्वार |
ताखाजी के स्थान का मनमोहक दृश्य |
ताखाजी के स्थान का मनमोहक नजारा |
ताखाजी के स्थान का मनमोहक नजारा |
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी व घूमने के स्थान के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !
यात्रा के दौरान सावधानियाँ!
- अकेले न जाये किसी जानकर को साथ ले जाए!
- उचित मात्रा में पानी के साथ रखें और खाने पिने का प्रबन्ध रखें!
- यदि आप उच्च या निम्न रक्त चाप रोगी हैं तो जाने से बचे!
- अपने साथ उचित दवाई का प्रबंधन रखें!
- ये क्षेत्र अभयारण्य का हिस्सा है और यहां कई जंगली जानवरों तेंदुआ, भालू, लकड़बग्गा आदि का निवास है इसीलिए हमेशा सावधान रहें!
कब जा सकते हैं!
वैसे तो इस स्थान पर किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन वर्षा ऋतू में रास्ते में कीचड़ हो सकता है! गर्मी के मौसम मे वातावरण शुष्क होने से तेज गर्मी होती है! अक्टूबर महीने से मार्च महीने तक मौसम ठंडा होने से सबसे अनुकूल होता है!
कैसे जा सकते है!
भानपुरा मालवा मध्य प्रदेश मंदसौर जिले का हिस्सा है जो राजस्थान झालावाड़ जिले से सटा हुआ है! संबंधित रेलवे स्टेशन भवानी मंडी (दिल्ली मुंबई रेल मार्ग) जो कि 25 किलोमीटर गिरता है और रामगंज मंडी जो कि 40 किलोमीटर पड़ता है! यहाँ से बस मार्ग द्वारा भानपुरा आसानी से दूर जा सकता है! और भानपुरा से व्यक्तिगत वाहन बाइक या कार द्वारा ताखेश्वर ज़ी तक जा सकते हैं!
तो दोस्तों यह आज की यात्रा थी! हम लगभग 9:00 बजे रात को घर पहुंचे !हमारी सेकंड हैंड बाइक ने हमारा पूरा साथ दिया!
इस लेख मैं अरावली पर्वत में स्थित मालवा कि पौराणिक और ऐतिहासिक जगह तक्षकेश्वर, ताखाजी, ताखेश्वर के बारे में जानकारी दी है! उम्मीद करता हूँ कि आपको यह लेख पसंद आये! मिलते हैं अगले दिन की यात्रा के लेख में !
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ब्लॉग-पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
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Good Information
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंधन्यवाद पोस्ट पढ़ने और कमेंट करने के लिए !
हटाएंधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंNice blog
जवाब देंहटाएंNice blog
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंयह मंदिर साधुओं की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है यहां पर बहुत सारे रहस्य छिपे हुए हैं यहां पर लाखों जड़ी बूटियां जिनको जड़ असली के नाम से पुकारा जाता है इसी मंदिर के आसपास स्थित माना जाता है यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है और इसकी शोभा देखने मात्र से ही बनती है यह नागो के राजा तक्षक और आयुर्वेद के जनक धनवंतरी का स्थान हैं माना जाता है यहाँ 12 वीं शताब्दी में बना हुआ एक पौराणिक व ऐतिहासिक ताखाज़ी के नाम से प्रसिद्ध है यहां पर जो गोमुखी है उसमें सर्दी के समय गर्म पानी और गर्मियों में ठंडा पानी आता है माना जाता है कि इस गौ मुखि में जो पानी आ रहा है वह शिप्रा नदी से आ रहा है यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर सीढ़ियां उतर कर मंदिर तक पहुंच जाता है
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