इस ब्लॉग़ में अरावली पर्वत श्रंखला में स्थित Historical Fort,Historical Temple,Prehistorical Place,Natural Place,Historical Dam,Wildlife sanctuary,Ancient Bodhist Place के बारे में जानकारी दी गयी है
मालवी भाषा में चिबर का मतलब होता है चमगादड़! मध्यप्रदेश मंदसौर जिले के भानपुरा से लगभग 35 किलोमीटर दूर गांधी सागर अभयारण्य की अरावली पहाड़ियों के बिच घने जंगल में स्थित "चिब्बर नाला" एक प्राकृतिक, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक स्थान है, जहाँ पर जंगलो के बीच से निकलकर ऊंचाई से गिरते झरने का मनमोहक दृश्य वर्षा के दौरान दिखाई देता है! चिब्बड़ नाला में मौजूद पहाड़ियों में स्थित प्राकृतिक गुफाएँ, शैल आश्रय तथा सदियों पुराने रॉकपेन्टिंग पाषाण कालीन मानव सभ्यता होने का प्रमाण देती है!
चिब्बड़ नाला-भानपुरा में स्थित शीतला महारानी
चिब्बड़ नाला का दृश्य
यहां जंगली जानवरों को देखने का अवसर मिलने के साथ साथ प्राकृतिक नजरों का लुत्फ, ऐतिहासिक माताजी के मंदिर में दर्शन करने का और हजारों साल पुरानी मानव सभ्यता की साक्ष्य रॉक पेंटिंग्स को देखने से एक असीम आनंद का अनुभव होगा!
मेरे बचपन का मित्र और सहपाठी महेश जो की आजकल कोटा में कार्य करता है, काफी लम्बे समय के बाद उसका कल फोन आया था! लम्बी बातचीत हुई और बताया की उसने एक सेकंड के बाइक बायक है और उसकी टेस्ट ड्राइविंग के लिए वो आज आने वाला था!
आज सुबह 9 बजे वह मेरे घर पहुंच गए और कुछ मेल मिलाप के बाद हमने बाइक रोक दी और आगे की यात्रा शुरू की!
लगभग आधे घंटे बाद हम ऐतिहासिक नगर भानपुरा बस स्टैंड पहुंच गए थे! मेरा मन अतीत की गहराइयों में झांकने लगा! लगभग 20 साल पहले कॉलेज के दिनों में यहां कचौरी की एक छोटी सी दुकान हुई थी, और अक्सर हम उस दुकान पर कचौरी खाने करते थे मेरी आंखें उसी दुकान को ढूंढ रही थी! लेकिन दुकान का कहीं पता नहीं था! फिर लगभग 10 कदम दूर हमे एक दुकान नजर आई। यह वही दुकान थी जो अब एक बड़ी दुकान में तब्दील हो गई थी! हमने ब्रेकफ़ास्ट किया और आगे बढ़ गए!
हमारा अगला पड़ाव एक पेट्रोल पंप था जो भानपुरा गांधी सागर मार्ग में 1 किलोमीटर दूर था ! जहां हमने पेट्रोल भरवाया !पेट्रोल पंप के सेल्समैन ने गाड़ी की तरफ देखा और गाड़ी की तारीफ की जिसका हमको बहुत अच्छा फील हुआ! लगभग 8 किलोमीटर चलने के बाद हमने संग्राम की की 1 किलोमीटर चढ़ाई पार की अब हम गांधी सागर अभ्यारण में प्रवेश कर चुके थे!
अभ्यारण्य का आखरी गाँव चिब्बड़ नाला मार्ग का
कुछ किलोमीटर और चलने के बाद हम उत्तर दिशा की ओर नावली मार्ग पर मुड़े! लगभग 12 किलोमीटर चलते हुवे हमने दो गाँव को पार किया यहाँ तक पक्की सड़क थी! इसके बाद कच्ची सड़क शुरू होती है एक सड़क हिंगलाज गढ़ की तरफ जाती है और दूसरी सड़क चिब्बर नाले की तरफ यहां पर एक बोर्ड भी लगा हुआ है जो सड़क मार्ग को दर्शाता है!
यहां से लगभग 8 किलोमीटर सुनसान जंगल और उथरी खाट रास्ता से होते हुए हम एक समतल मैदान पर पहुंचे इसके आगे एक बहुत ही सुंदर घाटी नुमा जगह है इसी का नाम चिब्बर नाला है! रास्ता में हमें कुछ दूरी पर एक हिरणो का झुंड दिखाई दिया जो हमारे कैमरे की पहुंच से बाहर था और कुलांचे भरता हुवा हमारी आहट पाकर अदृश्य हो गए!
यहाँ स्थित प्राकृतिक शैलश्रय (रॉक शेल्टर) में एक छोटा सा चिब्बड़ नाला की माताजी का अति प्राचीन मंदिर है जिसमें देवी की एक प्राचीन प्रतिमा स्थित है! स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पुराने समय से यह चोरों और डकैतों की अधिष्ठात्री देवी रही है! कार्य पर जाने से पहले वे यहाँ पूजा अर्चना करने आते थे! और सफल होने के बाद वह यहाँ चढ़ावा चढ़ाते थे!
कहते हैं कि यहाँ से मांगी गयी हर एक मुराद पुरी जरूर होती है! अभी भी जानकार लोग यहाँ आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में यहाँ तक कम ही लोग पहुँच पाते हैं!
चिब्बर नाला माताजी का अति प्राचिन मंदिर
चिब्बर नाला माताजी कि अति प्राचिन प्रतिमा
मंदिर के सामने जलती धूनी और शेर कि प्रतिमा
मंदिर तक जाने का एक गुप्त रास्ता और भी है!
बरसात के दिनों में जब नाले में पानी भरा होता है तो इस गुप्त रास्ता से मंदिर तक जा सकते है! जो प्राकृतिक रॉक शेल्टर्स से चट्टानों कि गुफा के बिच होता हुआ ऊपर से नीचे मंदिर तक जाता है!
यँहा सदियों पहले के प्रागैतिहासिक कालीन मानव सभ्यता होने के संकेत मिलते हैं !उनके द्वारा बनाई गई रॉक पेंटिंग के माध्यम से जो लाल गेरू रंग में रॉक शेल्टर के ऊपर उकेरी गई है! जिसका हजारो साल पुराना होने का अनुमान है! शैल चित्रों का विषय जानवर और मनुष्य है !
चिब्बड़ नाला पाशाण कालीन शैल चित्र
चिब्बड़ नाला पाषाण कालीन शैल चित्र गिरगिट, मोर, शेर
चिब्बड़ नाला के पाषाण कालीन शैल चित्र
चिब्बड़ नाला शैल चित्र आदि मानव मुखिया समूह में शिकार करते हुवे
दो पैरों वाले जानवर कि सवारी! ऊपर कि और पाशाणकालीन भाषा में लेख लिखा है
कुछ असामाजिक तत्व अपना नाम लिखकर पाशाण कालीन संस्कृति नष्ट करते हुए
नजर दौड़ाने पर आपको चारों ओर प्राकृतिक रॉक शेल्टर्स दिखाई देंगे जो दर्शाता है कि प्रागैतिहासिक काल में यह स्थान कभी मानव सभ्यता का प्रमुख केंद्र रहा है!
चिब्बड़ नाला के शैल आश्रय
यहाँ मौजूद है जलप्रपात!
वर्षा के दौरान नाले का पानी काफी ऊंचाई से नीचे गिरकर एक जलप्रपात बनाता हुवा मनमोहक प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है जो देखने में बड़ा ही सुंदर लगता है!
चिब्बड़ नाले का जल प्रपात
चिब्बड़ नाला दृश्य
आदि मानव हाथ में फरसा लिए नीलगाय का शिकार करते हैं
एक पाषाण कालीन जानवर
पाषाण कालीन मानव हाथ में हथियार लीये शिकार कि प्रतीक्षा में
पाषाण लिपि में लिखित शैल चित्र
जिराफ और दो पैरो वाले जानवर का शैलचित्र
ऊपर कि और शैल चित्र
कुछ और पाषाण कालीन जीवों के शैलचित्र
सियार का शैलचित्र
आदि मानव हाथ में हथियार लेकर शिकार के लीये जाते हैं
अकेले न जाए कोई जानकर के साथ जाना चाहिए क्योंकि यह स्थान सुनसान और मानव विहीन है!
उचित मात्रा में पीने का पानी के साथ रखें और खाने पिने का प्रबन्ध रखें!
यदि आप उच्च या निम्न रक्त चाप रोगी हैं तो जाने से बचे!
अपने साथ उचित दवाई का प्रबंधन रखें
ये क्षेत्र अभयारण्य का हिस्सा है और यहां कई हिंसक जानवर मौजूद हैं! सावधान रहें !
कब जाए !
वैसे तो इस स्थान पर किसी भी मौसम में जा सकते हैं, लेकिन बारिश ऋतु में रास्ते में कीचड़ हो सकता है! गर्मी के मौसम मे वातावरण शुष्क होने से तेज गर्मी होती है! अक्टूबर महीने से मार्च महीने तक मौसम ठंडा होने से सबसे अनुकूल होता है! है!
कैसे जाए !
भानपुरा मध्य प्रदेश मंदसौर जिले में जो रेटेड झालावाड़ जिले से सटा हुआ है! संबंधित रेलवे स्टेशन भवानी मंडी (दिल्ली मुंबई रेल मार्ग) जो कि 25 किलोमीटर है और रामगंज मंडी जो कि 40 किलोमीटर पड़ता है! यहाँ से बस मार्ग द्वारा भानपुरा आसानी से दूर जा सकता है! और भानपुरा से व्यक्तिगत वाहन बाइक या कार द्वारा चिब्बर नाला जा सकता है!
दोस्तों, इस लेख मैं अरावली मैं स्थित प्राकृतिक, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक चिब्तार नाला के बारे में बताया गया है, स्थान के बारे में इंटरनेट पर ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है! और यहाँ पहुंचना थोड़ा कठिन है!
गलती के लिए क्षमा करें!
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ब्लॉग-पढ़ने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद!
चिब्बड़ नाला का Exclusive Video निचे देखें तथा youtube channel को भी Like, Comment और Subscribe करें धन्यवाद !
Acchi jaankari
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग़ पर आने के लिए !
जवाब देंहटाएंAwesome
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंWonderful description.
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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